पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
Victory to the husband of Girija, the compassionate Lord. He usually protects and nurtures his devotees and kids. Which has a crescent moon adorning his forehead, And earrings fabricated from snakes’ hoods.
O Lord! I beseech Your assistance and seel your divine blessing at this extremely second. Preserve and shield me. Demolish my enemies with the Trishul. Release me in the torture of evil feelings.
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
अर्थ: हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो। आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है। हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे स्वामी, हमें क्षमा कर देना।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
अर्थ: जो कोई भी धूप, दीप, नैवेद्य चढाकर भगवान शंकर के सामने इस पाठ को सुनाता है, भगवान भोलेनाथ उसके जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश करते हैं। अंतकाल में भगवान शिव के धाम शिवपुर अर्थात स्वर्ग की प्राप्ति होती है, उसे मोक्ष मिलता है। अयोध्यादास को प्रभु आपकी आस है, आप तो सबकुछ जानते हैं, इसलिए हमारे सारे दुख दूर करो भगवन।
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
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नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
The discovered types notice more info the Trayodashi (thirteenth lunar day) quickly, They meditate and accomplish the sacred fire ceremony. They notice the Trayodashi speedy on a regular basis, To ensure that their bodies continue being no cost from afflictions.
वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
शिव चालीसा के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।